Thursday 26 April 2012

हैप्पी बर्थ डे टू “सत्यम “



हैप्पी बर्थ डे टू 
सत्यम 
---------------------------

मेरे प्यारे नन्हे मुन्नों 
मित्र हमारे दिल हो 
मात - पिता के बहुत दुलारे 
जग के तुम दीपक हो !
------------------------------

आओ अपने नन्हे कर से 
सुन्दर प्यारा जहाँ बनायें 
सूरज चंदा तारों से हम 
झिलमिल -झिलमिल इसे सजाएं !
------------------------------------
प्रेम की बहती अमृत धारा 
कमल गुलाब खिले चेहरे हों 


मंद मंद मुस्कान विखेरे 
हम नूर नैन के दिलों बसे हों !
----------------------------------
फूल खिले हों चिड़ियाँ गायें 

नाच मोर हर दिन सावन हो 

ख़ुशी रहे "तुलसी" घर आंगन 
ज्ञान का दीपक ज्योति जगी हो 
---------------------------------------
होली दीवाली से हर दिन 
झूमें हम - मन - मिला रहे 
गुडिया गुड्डे और घरौंदे 

अपनी दुनिया सजी रहे !
  
देश के वीर सपूत बनें हम 
भारत - माँ - के लाल बनें 
शावक से जब सिंह बनें हम 
गरजें अरि के काल बनें !

-----------------------------------
सभी बड़े- छोटे- सब मिल के 
ह्रदय लगा  - दे - दें आशीष 
सदा सहेजे --  मै रखूँगा 
नमन करूँ - तुम गुरु हो- ईश !
----------------------------
कल है मेरा जन्म-दिवस- 'प्रिय'
केक काटने आ जाना 

स्नेह लुटा बबलू पप्पू बन 
लड्डू -टाफी - खा जाना 

--------------------------------

गुब्बारे- संग -फूल खिलेंगे
खुश्बू  होगी- कविता होगी 
भ्रमर रहेंगे मधुर गीत में 
काव्य गोष्ठी अद्भुत होगी 
-----------------------------------
आपका स्नेहाकांक्षी 'सत्यम"
द्वारा भ्रमर-५- २६.४.२०१२ 
प्रतापगढ़ उ.प्र. 

Tuesday 24 April 2012

मै खुश्बू हूँ


मै खुश्बू हूँ
------------------



पुष्प हमारे जीवन दाता
वही हमारे भाग्य विधाता
अंक भरे जीवन भर पालें
मधु -पराग से ज्यादा मानें

मै  उडती तितली सी ही हूँ
बड़ी दूर तक जाऊं
कलियाँ तितली भौंरों के संग
खेल-खेल इतराऊँ
मुझसे आकर्षित हो - हो के
लोग खिंचे ही आयें
मात -पिता को मेरे देखे
और ख़ुशी हो जाएं
मांग सकें ना उनसे मुझको
मै तो उनकी जान
सदा रहूंगी जग में प्यारी
बन उनकी पहचान



खिला रहे गुल-गुलशन अपना
दूर भले ही जाऊं
जब जी चाहे -प्यार उमड़ता
भागी घर आ जाऊं
रंजो गम दुनिया के दिल के
"हर"  -खुशियाँ -दे जाऊं
ख़ुशी -ख़ुशी मुस्काते चेहरे
देख -देख अति खुश हो जाऊं
जो निर्मल -मन-प्रेमी मिलता
दिल में मै बस जाऊं
मै खुश्बू हूँ !!
------------------------------------
सुरेन्द्र शुक्ल भ्रमर ५
मेरे ब्लॉग "खुश्बू" से उद्धृत
७.३५-७.४८ पूर्वाह्न
                            कुल्लू यच पी २४.४.१२

Sunday 22 April 2012

देवी का प्रतिरूप है बिटिया

फूल सी रहती सदा खिली
सब की चाँद खिलौना बिटिया
मुस्काती ही सदा मिली
देवी का प्रतिरूप है बिटिया
रचती जग को सदा रही 
आँखों का तारा है बिटिया
रोशन जग को करती
लक्ष्मी सरस्वती है बिटिया
मीठी वाणी से गृह भरती
ये पराग है मधु है बिटिया
खुश्बू तन मन भरती
माँ पापा की प्यारी बिटिया
दिल में सदा ही बसती !
भ्रमर५
६.२५-६.३३ मध्याह्न
कुल्लू यच पी
२२.०४.२०१२