Sunday 22 April 2012

देवी का प्रतिरूप है बिटिया

फूल सी रहती सदा खिली
सब की चाँद खिलौना बिटिया
मुस्काती ही सदा मिली
देवी का प्रतिरूप है बिटिया
रचती जग को सदा रही 
आँखों का तारा है बिटिया
रोशन जग को करती
लक्ष्मी सरस्वती है बिटिया
मीठी वाणी से गृह भरती
ये पराग है मधु है बिटिया
खुश्बू तन मन भरती
माँ पापा की प्यारी बिटिया
दिल में सदा ही बसती !
भ्रमर५
६.२५-६.३३ मध्याह्न
कुल्लू यच पी
२२.०४.२०१२

1 comment:

  1. प्रिय मित्रों मेरे इस नए चिट्ठे में आप का हार्दिक स्वागत है कृपया अपना स्नेह इस पर भी बरसायें
    भ्रमर ५

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